Lok Adalat 2025: अगर आपका ट्रैफिक चालान पेंडिंग है और आप उसे कम या माफ करवाना चाहते हैं, तो आपके लिए 10 मई 2025 को लगने वाली लोक अदालत एक बड़ा मौका साबित हो सकती है। लोक अदालतों में सामान्य ट्रैफिक उल्लंघनों पर लगे चालानों को समझौते के आधार पर निपटाया जाता है, जिससे जुर्माने की राशि में राहत मिलती है।
कौन-कौन से चालान लोक अदालत में माफ या कम हो सकते हैं ?
लोक अदालत में मामूली ट्रैफिक उल्लंघनों से जुड़े चालानों को माफ या कम किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं:
- सीट बेल्ट न पहनना
- हेलमेट न पहनना
- रेड लाइट पार करना
- PUC सर्टिफिकेट न होना
- गलत जगह पर वाहन पार्क करना
- बिना लाइसेंस या फिटनेस सर्टिफिकेट ड्राइविंग
- गलत लेन में गाड़ी चलाना
- बिना नंबर प्लेट वाहन चलाना
इन मामलों में न्यायालय के समक्ष समझौता होता है, जिसके बाद फाइन या तो माफ कर दिया जाता है या आंशिक रूप से लिया जाता है।
लोक अदालत में किन चालानों की सुनवाई नहीं होती ?
हर चालान लोक अदालत में माफ नहीं होता। कुछ गंभीर ट्रैफिक अपराध ऐसे हैं जिन्हें पारंपरिक कोर्ट में ही सुलझाया जाता है। जैसे:
- नशे में वाहन चलाना (Drunk Driving)
- हिट-एंड-रन केस
- गंभीर लापरवाही से ड्राइविंग और मौत
- नाबालिग द्वारा वाहन चलाना
- गैरकानूनी रेसिंग या स्पीड ट्रायल
- वाहन का आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल
- ऐसे चालान जिन पर पहले से कोर्ट केस लंबित हो
इन मामलों में लोक अदालत राहत नहीं देती और सामान्य अदालत की प्रक्रिया ही अपनानी पड़ती है।
दूसरे राज्य में कटा चालान लोक अदालत में नहीं सुना जाएगा
अगर आपका चालान किसी दूसरे राज्य में कटा है, तो उसे आपके मौजूदा राज्य की लोक अदालत में नहीं सुना जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर आपका चालान नोएडा में कटा है, तो उसे दिल्ली की लोक अदालत में निपटाया नहीं जा सकता।
लोक अदालत में सुनवाई से पहले क्या तैयारी जरूरी है ?
लोक अदालत में अपनी सुनवाई के लिए आपको पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसके लिए:
- Online Registration करें
- आपको Token Number और Appointment Letter मिलेगा
- 10 मई को अपॉइंटमेंट के आधा घंटा पहले अदालत परिसर पहुंचना होगा
- साथ में लाएं: चालान कॉपी, वाहन से जुड़े दस्तावेज़, ड्राइविंग लाइसेंस और पहचान पत्र
कैसे होती है लोक अदालत में चालान की सुनवाई ?
लोक अदालत में मामले की संक्षिप्त सुनवाई होती है। दस्तावेज जांचने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश एक समझौता राशि निर्धारित करते हैं। यह राशि कोर्ट में तय जुर्माने से काफी कम होती है। भुगतान के बाद चालान को बंद कर दिया जाता है और कोर्ट केस का खतरा भी टल जाता है।
पारंपरिक अदालत की प्रक्रिया क्यों टालनी चाहिए ?
पारंपरिक अदालतों में चालान निपटाने की प्रक्रिया लंबी और खर्चीली हो सकती है। इसमें पेशी, वकील की फीस और समय की मांग होती है। वहीं लोक अदालत में बिना वकील और लंबी प्रक्रिया के चालान निपटा कर समय और पैसे दोनों की बचत की जा सकती है।
समय पर रजिस्ट्रेशन कराएं और राहत पाएं
अगर आपका कोई चालान पेंडिंग है और वह लोक अदालत के दायरे में आता है, तो यह सुनहरा मौका है उसे निपटाने का। 10 मई को लगने वाली लोक अदालत में पहुंचकर आप कानूनी प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं। जरूरी है कि आप समय से रजिस्ट्रेशन करें और निर्धारित दस्तावेज लेकर समय से कोर्ट परिसर पहुंचें।