16 जून से इन नियमों में होगा बड़ा बदलाव, यूपीआई से पैसे भेजना होगा ज्यादा तेज UPI Transaction Update

UPI Transaction Update: देश में डिजिटल पेमेंट का सबसे लोकप्रिय जरिया बन चुका UPI (Unified Payments Interface) अब और तेज और भरोसेमंद होने जा रहा है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने हाल ही में 26 अप्रैल 2025 को एक सर्कुलर जारी कर बताया कि 16 जून 2025 से UPI सिस्टम में नई प्रोसेसिंग समय सीमा लागू की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य UPI ट्रांजैक्शन में आई हालिया तकनीकी रुकावटों को खत्म करना और यूजर्स को बेहतरीन अनुभव देना है।

हर महीने 25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का ट्रांजैक्शन करता है UPI

UPI सिस्टम के जरिए भारत में हर महीने 25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लेनदेन किया जा रहा है। इसमें GPay, PhonePe, Paytm, BHIM, Amazon Pay जैसे तमाम ऐप्स और बैंकों की भूमिका होती है। बढ़ते यूजर्स और ट्रांजैक्शन वॉल्यूम को देखते हुए NPCI ने तय किया कि अब समय के साथ इसकी प्रोसेसिंग स्पीड को और बेहतर बनाया जाएगा।

अब कितने सेकेंड में होंगे UPI ट्रांजैक्शन ?

NPCI ने UPI नेटवर्क से जुड़े सभी बैंकों और पेमेंट ऐप्स को साफ निर्देश दिए हैं कि वे अब UPI से जुड़ी सेवाओं को तय समय सीमा के भीतर पूरा करें।
नई नियमों के मुताबिक:

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सेवापहले का समयअब तय समय सीमा
Request Pay / Response Pay30 सेकंड15 सेकंड
Check Transaction Status30 सेकंड10 सेकंड
Transaction Reversal30 सेकंड10 सेकंड
Validate Address30 सेकंड10 सेकंड

इस बदलाव के साथ उम्मीद की जा रही है कि UPI ट्रांजैक्शन फेलियर में कमी आएगी और रीयल-टाइम प्रोसेसिंग में सुधार होगा।

बार-बार हुई तकनीकी खराबियों के बाद उठाया गया कदम

NPCI का यह फैसला उस समय आया है जब हाल के महीनों में UPI सिस्टम को बार-बार तकनीकी रुकावटों का सामना करना पड़ा। मार्च और अप्रैल 2025 के दौरान 26 मार्च, 1 अप्रैल और 12 अप्रैल को कई ट्रांजैक्शन फेल हुए। इनमें सबसे बड़ी रुकावट 12 अप्रैल को आई, जब लाखों UPI लेनदेन फेल हो गए और यूजर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

जांच में सामने आया चौंकाने वाला कारण

NPCI की आंतरिक जांच में पाया गया कि इन रुकावटों की मुख्य वजह ‘Check Transaction Status API’ पर भारी लोड था। कई बैंक और ऐप्स बार-बार पुराने ट्रांजैक्शन की स्थिति चेक करने के लिए रिक्वेस्ट भेजते रहे, जिससे सर्वर पर दबाव बढ़ा और प्रोसेसिंग धीमी हो गई। इसी कारण से ट्रांजैक्शन अटक गए और यूजर्स को समय पर सेवा नहीं मिल पाई।

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बैंक और ऐप्स को भी मिले दिशा-निर्देश

NPCI ने सभी UPI नेटवर्क में शामिल बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को निर्देश दिया है कि वे अपने सिस्टम को इस बदलाव के अनुसार तैयार करें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करें कि:

  • कम रिस्पॉन्स टाइम से सर्विस क्वालिटी पर असर न पड़े
  • कोई ट्रांजैक्शन फेल न हो
  • UPI आउटेज को पूरी तरह रोका जा सके

क्या होगा इसका फायदा आम यूजर को ?

  • ट्रांजैक्शन तेजी से प्रोसेस होंगे
  • पेंडिंग स्टेटस की दिक्कत में कमी
  • रीवरसल के लिए अब इंतजार नहीं करना पड़ेगा
  • UPI पर विश्वास और बढ़ेगा
  • व्यापारियों और दुकानदारों को भी रियल-टाइम पेमेंट में सहूलियत मिलेगी

तकनीकी बदलाव का असर क्या बैंकिंग सिस्टम पर पड़ेगा ?

बैंकों को अब अपने API सिस्टम और सर्वर को अपग्रेड करना होगा ताकि वे कम समय में ट्रांजैक्शन की प्रोसेसिंग पूरी कर सकें। छोटे बैंकों और रीजनल पेमेंट गेटवे को यह बदलाव समय पर लागू करना चुनौती हो सकता है, लेकिन NPCI ने साफ कहा है कि 16 जून 2025 के बाद कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।

भविष्य में और क्या बदलाव हो सकते हैं ?

NPCI लगातार UPI की ग्लोबल एक्सपेंशन की दिशा में भी काम कर रहा है। सिंगापुर, UAE और नेपाल जैसे देशों में पहले से ही UPI पेमेंट उपलब्ध है। अगर यह प्रणाली ज्यादा मजबूत और भरोसेमंद बनती है, तो आने वाले समय में UPI को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रेडिट कार्ड जैसा स्थान मिल सकता है।

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डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और मजबूत कदम

UPI आज भारत के डिजिटल बदलाव की रीढ़ बन चुका है। हर वर्ग – किसान से लेकर व्यापारी और छात्र से लेकर प्रोफेशनल – अब कैशलेस पेमेंट का हिस्सा है। NPCI द्वारा उठाया गया यह नया कदम डिजिटल ट्रांजैक्शन को और सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद बनाएगा।