Indian Railway: भारतीय रेलवे, न केवल भारत का बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा और व्यस्ततम रेल नेटवर्क है। हर दिन करोड़ों यात्री इसकी 13,000 से अधिक ट्रेनों में सफर करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि ट्रेन के हर डिब्बे पर एक 5 अंकों का नंबर लिखा होता है? यह कोई साधारण संख्या नहीं, बल्कि भारतीय रेलवे की एक गुप्त भाषा है जो उस कोच की उम्र, श्रेणी और पहचान को दर्शाती है।
कोच नंबर का पहला हिस्सा बताता है निर्माण वर्ष
कोच पर जो 5 अंकों का नंबर लिखा होता है, उसमें पहले दो अंक उस कोच के निर्माण वर्ष को दर्शाते हैं।
- अगर किसी कोच पर ‘04’ लिखा है, तो इसका मतलब वह 2004 में बना था।
- वहीं अगर ‘12’ लिखा हो, तो कोच 2012 में तैयार किया गया है।
इस तरह रेलवे अधिकारी यह तय कर सकते हैं कि कोच की स्थिति, आयु और मेंटेनेंस की जरूरत कितनी है।
बाकी तीन अंक बताते हैं कोच की श्रेणी
नंबर के अंतिम तीन अंक उस कोच की श्रेणी, प्रकार और उपयोगिता को दर्शाते हैं। यह बताता है कि कोच फर्स्ट क्लास, एसी, स्लीपर, या चेयर कार है।
यहां जानिए किस नंबर का क्या मतलब होता है
नंबर रेंज | कोच प्रकार |
---|---|
001 से 025 | फर्स्ट क्लास (First Class) |
026 से 050 | फर्स्ट AC या सेकंड AC |
051 से 100 | AC 2 टियर |
101 से 150 | AC 3 टियर |
151 से 200 | AC चेयर कार |
201 से 400 | सेकंड क्लास स्लीपर |
इस कोडिंग से रेल कर्मचारियों को रखरखाव, आवंटन और जांच-पड़ताल में बड़ी सुविधा होती है।
रेलवे की यह कोडिंग यात्रियों के लिए क्यों जरूरी है ?
हो सकता है आम यात्री इन नंबरों पर ध्यान न दें, लेकिन यदि आप नियमित ट्रेन यात्री हैं, तो यह जानकारी आपके लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों से जुड़ी हो सकती है।
- अगर किसी कोच की उम्र ज्यादा है, तो उसमें यात्रियों को झटकों, दरवाजे की परेशानी जैसी समस्याएं आ सकती हैं।
- इसके अलावा कोच के प्रकार को पहचानना सही बोगी खोजने में भी मदद करता है।
इस कोडिंग से रेलवे को क्या फायदा होता है ?
रेल कोचों की यह कोडिंग प्रणाली रेलवे को रखरखाव की प्राथमिकता तय करने, दुर्घटनाओं से बचाव और ट्रैकिंग के लिए एक तथ्यात्मक रिकॉर्ड देती है। इससे यह तय किया जा सकता है कि कौन सा कोच रिटायर किया जाए और कौन सा अभी चलने लायक है।
आखिर में क्यों जरूरी है यह जानकारी ?
भारतीय रेलवे एक दिन में करोड़ों यात्रियों को सुरक्षित और समय पर सेवा देने की जिम्मेदारी निभाता है। ऐसे में कोचों की सटीक जानकारी से न सिर्फ रखरखाव बेहतर होता है, बल्कि यात्रियों को भी समय पर और बेहतर सुविधा मिलती है। अगली बार जब आप ट्रेन में चढ़ें, तो एक नजर इस 5 अंकों के कोड पर जरूर डालिए, यह आपकी सवारी की कहानी खुद बयां करेगा।