75 दिनों की खेती बना देगी किसानों को मालामाल, कम लागत में बढ़िया होगी पैदावार Tomato Farming

Tomato Farming: टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय बेहद अहम है। खेतों की तैयारी से लेकर उत्तम बीज और मिट्टी का चुनाव, हर कदम पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि उच्च गुणवत्ता वाली और भरपूर पैदावार मिल सके। पश्चिमी चंपारण के कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में किसानों के लिए कुछ अहम सुझाव साझा किए हैं, जिनका पालन कर किसान टमाटर और शिमला मिर्च की खेती में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।

मिट्टी का चयन है सबसे जरूरी

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह के अनुसार, टमाटर की खेती के लिए बलुई दोमट, लाल, काली और चिकनी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। खराब जल निकासी से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, जिससे पैदावार पर असर पड़ता है।

उत्तम किस्मों का चयन करें

विशेषज्ञों के अनुसार, टमाटर की कुछ प्रमुख और उच्च उपज देने वाली किस्में हैं:

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  • काशी विशेष
  • काशी अमृत
  • काशी अभिमानी
  • अर्का विशेष
  • अर्का रक्षक

इन किस्मों को चुनकर किसान अच्छी उपज के साथ बाजार में बेहतर दाम भी पा सकते हैं।

काशी विशेष कम समय में बेहतर उपज

काशी विशेष टमाटर किस्म को लीफ कर्ल वायरस से प्रतिरोधक माना जाता है। यह 70 से 75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है

  • एक टमाटर का औसत वजन लगभग 80 ग्राम होता है।
  • यह किस्म 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है।
  • पूरी तरह लाल और गोल आकार की यह किस्म किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है।

काशी अमृत सबसे अधिक उपज देने वाली किस्म

काशी अमृत टमाटर किस्म की खासियत यह है कि इसका एक फल लगभग 108 ग्राम का होता है और यह भी तंबाकू लीफ कर्ल वायरस के प्रति प्रतिरोधक है।

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  • प्रति हेक्टेयर करीब 620 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है।
  • इसकी खेती खासकर यूपी, बिहार और झारखंड के किसान बड़े पैमाने पर कर सकते हैं।

काशी अभिमानी लंबे समय तक टिकाऊ किस्म

काशी अभिमानी किस्म के टमाटर 75 से 95 ग्राम वजन के होते हैं और ये लंबे समय तक खराब नहीं होते, इसलिए इन्हें लंबी दूरी तक भेजना आसान होता है

  • यह भी लीफ कर्ल वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक है।
  • इसकी खेती उत्तर भारत के पर्वतीय और मैदानी राज्यों में की जा सकती है जैसे – जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब और यूपी।

अर्का विशेष प्रोसेसिंग के लिए आदर्श किस्म

अर्का विशेष किस्म से 750 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है।

  • इस किस्म के फल का औसत वजन 70 से 75 ग्राम होता है।
  • यह किस्म प्यूरी, सॉस, पेस्ट और केचप बनाने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
  • इसलिए, जो किसान प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़े हैं या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

कुल मिलाकर किसानों को क्या करना चाहिए ?

अगर किसान सही समय पर खेत की तैयारी करें, सही मिट्टी और किस्म का चयन करें, तो टमाटर की खेती से प्रति हेक्टेयर 800 क्विंटल तक उत्पादन संभव है।

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  • जल निकासी का ध्यान रखें
  • बीजों को रोग प्रतिरोधक चुनें
  • मौसम के अनुसार फसल की देखरेख करें
  • समय पर सिंचाई और कीटनाशक का प्रयोग करें

इस प्रकार किसान कम लागत में अधिक उत्पादन लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।