Toll Tax Rules: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने टोल वसूली व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने की योजना बनाई है। अब देशभर के नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर टोल वसूलने वाली निजी एजेंसियों की भूमिका खत्म की जा सकती है। इसकी जगह अब बैंकों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। इस बदलाव का उद्देश्य टोल प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीक आधारित बनाना है ताकि यात्रियों को टोल प्लाजा पर रुकना न पड़े और लंबी कतारों से राहत मिल सके।
देश में 1063 टोल प्लाजा 45 हजार किलोमीटर पर होती है वसूली
देश के लगभग 1.5 लाख किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे नेटवर्क में से करीब 45,000 किलोमीटर सड़कों पर टोल वसूला जा रहा है। इन सड़कों पर कुल 1063 टोल प्लाजा मौजूद हैं, जहां फिलहाल निजी टोल एजेंसियां टोल वसूली का काम करती हैं। ये एजेंसियां स्थानीय स्तर पर कर्मचारी नियुक्त करती हैं और टोल की रकम एनएचएआई या निर्माण कंपनी को तय शर्तों के अनुसार देती हैं।
टोल वसूली व्यवस्था में क्यों हो रहा बदलाव ?
वर्तमान टोल सिस्टम में अक्सर ट्रैफिक जाम, भ्रष्टाचार और समय की बर्बादी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। कई जगह टोल वसूली में अनियमितता की शिकायतें भी मिली हैं। यही वजह है कि सरकार अब इस पूरे मॉडल को तकनीकी और वित्तीय संस्थानों के जरिए संचालित करना चाहती है। बैंकों को यह जिम्मेदारी देकर सरकार चाहती है कि टोल संग्रहण का पूरा सिस्टम पारदर्शी और उत्तरदायी बने।
ANPR टेक्नोलॉजी से होगी बिना रुके टोल वसूली
मंत्रालय ने अब जीपीएस आधारित टोल वसूली तकनीक की जगह ANPR यानी ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन तकनीक को अपनाने का फैसला किया है। इस तकनीक के तहत वाहन की नंबर प्लेट को कैमरा स्कैन करेगा और टोल अपने आप बैंक खाते से कट जाएगा। इससे टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और सफर बिल्कुल सरल रहेगा।
टोल प्लाजा होंगे खत्म सफर होगा बिना रुकावट
सरकार का उद्देश्य आने वाले वर्षों में टोल बैरियर को पूरी तरह हटाना है। अगर ANPR तकनीक और बैंक आधारित मॉडल सफल रहा, तो देश में टोल प्लाजा की व्यवस्था इतिहास बन सकती है। इससे समय की बचत, ईंधन की बचत और यात्रा का अनुभव बेहतर होगा।
बैंक निभाएंगे नई भूमिका कैमरे भी करेंगे इंस्टॉल
सड़क परिवहन मंत्रालय की योजना के तहत, बैंकों को टोल वसूली की जिम्मेदारी दी जाएगी। बैंक पहले टोल की राशि वसूलेंगे और फिर वह पैसा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को हस्तांतरित करेंगे। इसके बदले में बैंक हाई-रेजोलूशन कैमरे खरीदकर टोल रूट्स पर लगाएंगे, ताकि नंबर प्लेट की पहचान सही ढंग से की जा सके।
बैंकिंग मॉडल की रूपरेखा तैयार बैठकें जारी
इस बदलाव को अमल में लाने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय ने देश के कई बड़े सरकारी बैंकों के साथ बैठकों का आयोजन किया है। बैंकों ने इस योजना पर सकारात्मक रुख दिखाया है और ANPR तकनीक के तहत वसूली के लिए तैयार हैं। अब बस यह तय किया जाना बाकी है कि वसूली गई राशि कितने दिन तक बैंक अपने पास रख सकेंगे और किस तरह इसका लेखा-जोखा होगा।
टोल घोटालों और विवादों पर लगेगा अंकुश
नई योजना के लागू होने के बाद टोल वसूली में होने वाले विवाद, भ्रष्टाचार और घोटाले पर अंकुश लगने की उम्मीद है। बैंक जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को टोल वसूली में शामिल करने से पारदर्शिता बढ़ेगी और आम जनता को यह भरोसा रहेगा कि उनसे लिया गया शुल्क सही जगह जा रहा है।
यात्रियों को मिलेंगे कई फायदे
इस नई व्यवस्था से यात्रियों को कई फायदे मिलेंगे:
- टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा
- ईंधन की बचत होगी
- समय की बचत होगी
- लेन-देन पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित होगा
- ट्रैफिक जाम में कमी आएगी
क्या होगा मौजूदा टोल कर्मचारियों का ?
इस सवाल पर सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट नीति नहीं बताई है। हालांकि माना जा रहा है कि मौजूदा टोल कर्मचारियों को अन्य वैकल्पिक कार्यों में लगाया जा सकता है या प्रशिक्षण देकर उन्हें नई तकनीकी भूमिकाएं दी जा सकती हैं।
टोल वसूली में ऐतिहासिक बदलाव की ओर बढ़ता भारत
टोल वसूली की यह नई योजना भारत के परिवहन ढांचे में बड़ा बदलाव लाने वाली है। अगर यह सफल रहा, तो भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जाएगा, जहां यात्रा के दौरान बिना रुके और डिजिटल तरीके से टोल वसूला जाता है। इससे न केवल सड़क यात्रा का अनुभव सुधरेगा बल्कि देश की डिजिटल और वित्तीय प्रणाली को भी मजबूती मिलेगी।